Thursday, April 26, 2012

अंतिम खोज....

मृगतृष्णा सा आभास भी नहीं,
सफलता या संघर्ष ,क्या है जीवन?
भूत, भविष्य या वर्तमान,
कपोल कल्पनाएँ या यादों में जियें,
वादों में या इरादों में...
कहाँ जाएँ ,व्याकुलता है पर प्यास नहीं...
तर्क-कुतर्क सब कुछ पल का सब्र बंधाते हैं,
फिर से वही आकुलता, ह्रदय डूबने का एहसास,
वही बेचैनी,वही बेज़ार सा दिल हो जाता है,
फिर किसी बीते,असम्भव इरादे से प्यार हो जाता है,
तलाश किसकी,ज़िन्दगी या एहसास की,
प्रेम की या वासना की,पूर्णता की या अपूर्णता की,
चक्रव्यूह है विचारों का,
क्या येही वो ध्येय है, क्या ये वो रास्ता है,
सफ़र ही जीवन है, या मंजिल पा जाना ,है अंतिम खोज....