Saturday, January 28, 2012

बेरुख़ी मुबारक..



जिसको था इंतज़ार तेरा उसको ही खबर नहीं,
बेपरवाह तू है मगर इतनी बेखबर नहीं,
महरूम हो मेरी चाहत से या हो इतनी मसरूफ,
की मेरा पता नहीं न सही,खुद की भी खबर नहीं!!

तेरी चाहत मैं अब वो कशिश नहीं,
डूब जाने जैसी अब वो नज़र नहीं,
बेफिक्र हो जाओ मेरी पुकार से ,
तेरी गलियों से अब मेरी रहगुज़र नहीं..

अब फ़ना है तेरे ख़याल 
मेरे दिल-ओ-दिमाग़ से,
आती है बड़ी हसी मुझे अपने आप पे,
चाहत की फिकर नहीं, आँहो का असर नहीं,
जाओ, खुश रहो वहीँ जहाँ तुम्हारी कदर नहीं...

Thursday, January 19, 2012

सांसे...

कभी कभी ज़िन्दगी में कमी महसूस होती है,
पत्थर सी आँखों में भी नमी महसूस होती है,
मुहब्बत की मजलिस में बड़ी भीड़ है लेकिन,
किसी एक बुत के लिए साँसे थमी महसूस होती है...

संगमरमरी साया और बर्फ की आँखें,
तेरे आगोश में सांसें भी जमी महसूस होती हैं...
मौत की तरह, थाम ले हाथ मेरा,
ज़िन्दगी में तो सिर्फ नाकामी महसूस होती है...


तेरी कमी महसूस हुई...

खुशमिजाज़ तो तबियत रहती है मेरी,
मुस्कुराने की बात आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

शामें रोशन कर दी शफ्फाक यादों ने,
आँखों मैं ढलती रात आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

धुआं धुआं सा रहता है सुबहो का मंज़र,
धुप से खिले चेहरे की याद आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

अज़ाने ,नमाज़ें ,मुरादें अभी  कितनी बाकी हैं,
हर सजदे मैं तेरी याद आई तो तेरी कमी महसूस हुई....

यूँ तो बातें करने को तमाम दुनिया है,
हर बात से पहले तेरी बात आई तो तेरी कमी महसूस हुई....