Saturday, January 28, 2012

बेरुख़ी मुबारक..



जिसको था इंतज़ार तेरा उसको ही खबर नहीं,
बेपरवाह तू है मगर इतनी बेखबर नहीं,
महरूम हो मेरी चाहत से या हो इतनी मसरूफ,
की मेरा पता नहीं न सही,खुद की भी खबर नहीं!!

तेरी चाहत मैं अब वो कशिश नहीं,
डूब जाने जैसी अब वो नज़र नहीं,
बेफिक्र हो जाओ मेरी पुकार से ,
तेरी गलियों से अब मेरी रहगुज़र नहीं..

अब फ़ना है तेरे ख़याल 
मेरे दिल-ओ-दिमाग़ से,
आती है बड़ी हसी मुझे अपने आप पे,
चाहत की फिकर नहीं, आँहो का असर नहीं,
जाओ, खुश रहो वहीँ जहाँ तुम्हारी कदर नहीं...

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