Thursday, January 19, 2012

तेरी कमी महसूस हुई...

खुशमिजाज़ तो तबियत रहती है मेरी,
मुस्कुराने की बात आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

शामें रोशन कर दी शफ्फाक यादों ने,
आँखों मैं ढलती रात आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

धुआं धुआं सा रहता है सुबहो का मंज़र,
धुप से खिले चेहरे की याद आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

अज़ाने ,नमाज़ें ,मुरादें अभी  कितनी बाकी हैं,
हर सजदे मैं तेरी याद आई तो तेरी कमी महसूस हुई....

यूँ तो बातें करने को तमाम दुनिया है,
हर बात से पहले तेरी बात आई तो तेरी कमी महसूस हुई....










4 comments:

  1. Replies
    1. thank you very much for reading...i am glad you liked it

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  2. Loved these lines...
    "धुआं धुआं सा रहता है सुबहो का मंज़र,
    धुप से खिले चेहरे की याद आई तो तेरी कमी महसूस हुई..."

    Beautiful!

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