Tuesday, July 17, 2012

कोई बात नहीं...

जब भी तेरे दर से गुज़रते हैं,
ढूंढते है तुझे सजदा करते हैं हम,
काफ़िर जैसे  ख़यालात ही नहीं,
तू न माने तो कोई बात नहीं,

जब भी तेरी याद आती है,
दिल में बेजारी हो जाती है,
बेतरतीब आँखों में चैन की रात नहीं,
तू न माने तो कोई बात नहीं,

तुझे मिलने को हर रोज़ आते हैं,
तुझे देखते हैं चले जाते हैं,
तुने एक बार भी मुड़कर नहीं देखा,
हम ज़िन्दगी ही सोचकर बिता देंगे,
तेरे तसव्वुर के खयालात ही सही,
तू न माने तो कोई बात नहीं,

आँखों में आँखें डाल कर जब तुने कहा था,
दिल में मुहब्बत का तूफ़ान बढ़ा था,
रूह से रूहानियत का सफ़र तय कर लिया,
तुने हमेशा के लिए मुझमे घर कर लिया,
मुहब्बत की चाल में शह और मात सही,
तू न माने तो कोई बात नहीं,

बिखर गयी आरजू, ज़र्रा भी न बचा,
तेरे आने की उम्मीद एक कतरा भी न बचा,
फिर भी हमें उम्र भर तेरा इंतज़ार रहा,
तेरी बेरुखी से ही हमें प्यार रहा,
शायद इस कायनात में हमारी औकात नहीं,
इसीलिए खुदा से कोई फ़रियाद नहीं,
तेरे मेरे बीच अब कोई बात नहीं,
तू न माने तो कोई बात नहीं....

Tuesday, July 3, 2012

मैं मसखरा हुआ...


दिलों के ग़म मिटाने को,आँखों से नमी हटाने को
जहाँ तेरा आंसू गिरा, उस राह को चमन बनाने को
तेरी यादों के सिरहाने ही , अपना जनाज़ा उठाने को,
उधार के ग़म लेकर, अपनी राह चले जाने को,
खुशमिजाज़ रहता हुआ,
मैं  मसखरा  हुआ....

यारों की महफ़िल मैं,सबके राज़ छुपाने को,
चाक जिगर सीने को,उधार की ज़िन्दगी जीने को,
उनकी राहत में अपनी राह भूल जाने को ,
उनके ग़म मैं अपनी ख़ुशी जलाने को,
स्याह सर्द रातों में,गर्म लावे की तरह बहता हुआ...
मैं  मसखरा  हुआ....

किसी ने न सिला दिया मेरे प्यार का,
दिल को न सुकून मिला,दाग़ दार का,
सर्द रातों को न मिली कोई खुशनुमा सुबह,
रात मैं गुज़र गया ,लम्बे इंतज़ार सा,
दिखा नहीं सीने में मेरे सुराख दर्द का,
मंज़र नज़र आता रहा, उस पार का,
खुदा भी नागवार हुआ,खुदाई भी गिरी,
मज़ाक सी ज़िन्दगी बख्शी, 
वो ज़ालिम ,खुदा हुआ!!?,
अपने ग़म को पीता रहा,
सबको हँसाकर  जीता रहा
मैं मसखरा हुआ?!!....