Thursday, December 16, 2010

क्या होगा !!!??

दायरा बढ़ने लगा
तिनके के ही गिरने से
ये तो सिर्फ एक झोंका था
क्या होगा तूफानों में !!??

एक बूँद ही दामन भिगा गई
सीलन सी आ गई रिश्तों में
अभी तो बादल गरजे हैं
क्या होगा बरसातों में !!??

पत्थर की तपिश से झुलस गए
छोड़ राह , चल दिए सायों में
अभी तो सफ़र का आगाज़ हुआ
क्या होगा गर्म चट्टानों में !!??

एक कांटे ने दामन पकड़ लिया
चुभन ने बेचैन कर दिया
अभी तो फूल भी साथ हैं
क्या होगा बीयाबानों में !!??

जो तुम दोगी साथ मेरा
रिश्तो की डोर न तोड़ेंगे
तुम ज़मीं पे साथ नहीं देती
क्या होगा उन आसमानों में !!??