दायरा बढ़ने लगा
तिनके के ही गिरने से
ये तो सिर्फ एक झोंका था
क्या होगा तूफानों में !!??
एक बूँद ही दामन भिगा गई
सीलन सी आ गई रिश्तों में
अभी तो बादल गरजे हैं
क्या होगा बरसातों में !!??
पत्थर की तपिश से झुलस गए
छोड़ राह , चल दिए सायों में
अभी तो सफ़र का आगाज़ हुआ
क्या होगा गर्म चट्टानों में !!??
एक कांटे ने दामन पकड़ लिया
चुभन ने बेचैन कर दिया
अभी तो फूल भी साथ हैं
क्या होगा बीयाबानों में !!??
जो तुम दोगी साथ मेरा
रिश्तो की डोर न तोड़ेंगे
तुम ज़मीं पे साथ नहीं देती
क्या होगा उन आसमानों में !!??
तस्वीर से तो साहब आप,
ReplyDeleteशुमार होते है जवानों में,
हम क्या मशवरा दे,
खुद को गिने नादानों में,
उम्र तराशती है सोच,
अपने आप, खुद ब खुद,
बस यूँ ही जारी रखिये,
तलाश उन ठिकानों में ;)
लिखते रहिये ....
bahut shukriya majaal sahab...
ReplyDeleteumra aur soch koi sanjog nahi hota
seekhne ke liye to umra bhi kam pad jaati hai....
blog visit karne k liye dhanyawaad!!!
बहुत सुंदर! अर्थ पुन:पुन: मनन करना पडेगा| बहुत गहरा अर्थ और प्रेरणास्पद भी! ऐसेही सुंदर उपहार देते रहिये| हम रह देख रहे है|
ReplyDeletevery nice ...complete justice with the soul...never left the core.... nice work...
ReplyDeleteawesome bhai sahab...so touching and so much true...apke lafzon ne to dil ko chu liya ekdam...zindagi ke rishton ki sachai kitne ache se bayan ki hai apne...bahut hi bhadiya...Rahul to apki poetry ka Fan tha hi..mein bi kayal hogayi..
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