Friday, January 17, 2014

याद आते हैं।

बैठे बैठे गुज़रे जहाँ याद आते हैं..
ज़ेहन के सेहरा मैं, उनके कदमों के निशाँ याद आते हैं...
यूँही कभी ग़म मय्यसर होता है
जब ख्यालो मैं वो उजड़े मकाँ याद आते हैं... 

कितने मुद्दतों से मिलने के उम्मीद थी,
कैसे बीते वो पलों के इम्तेहां याद आते हैं...
ख्वाबों की दुनिया मैं रोज़ मिलने की ख्वाहिश 
और यादों के कारवाँ याद आते हैं..

अंजाम-ए-मुहब्बत आगाज़ से ही मु'अय्यन था
फिर भी उसके दर्द से परेशां याद आते हैं...
तूने जो लिखा था कभी अपने लबों से मेरे लबों पे
वो बेदर्द ज़ख़्मों के दिलकश निशाँ याद आते हैं...

Tuesday, July 17, 2012

कोई बात नहीं...

जब भी तेरे दर से गुज़रते हैं,
ढूंढते है तुझे सजदा करते हैं हम,
काफ़िर जैसे  ख़यालात ही नहीं,
तू न माने तो कोई बात नहीं,

जब भी तेरी याद आती है,
दिल में बेजारी हो जाती है,
बेतरतीब आँखों में चैन की रात नहीं,
तू न माने तो कोई बात नहीं,

तुझे मिलने को हर रोज़ आते हैं,
तुझे देखते हैं चले जाते हैं,
तुने एक बार भी मुड़कर नहीं देखा,
हम ज़िन्दगी ही सोचकर बिता देंगे,
तेरे तसव्वुर के खयालात ही सही,
तू न माने तो कोई बात नहीं,

आँखों में आँखें डाल कर जब तुने कहा था,
दिल में मुहब्बत का तूफ़ान बढ़ा था,
रूह से रूहानियत का सफ़र तय कर लिया,
तुने हमेशा के लिए मुझमे घर कर लिया,
मुहब्बत की चाल में शह और मात सही,
तू न माने तो कोई बात नहीं,

बिखर गयी आरजू, ज़र्रा भी न बचा,
तेरे आने की उम्मीद एक कतरा भी न बचा,
फिर भी हमें उम्र भर तेरा इंतज़ार रहा,
तेरी बेरुखी से ही हमें प्यार रहा,
शायद इस कायनात में हमारी औकात नहीं,
इसीलिए खुदा से कोई फ़रियाद नहीं,
तेरे मेरे बीच अब कोई बात नहीं,
तू न माने तो कोई बात नहीं....

Tuesday, July 3, 2012

मैं मसखरा हुआ...


दिलों के ग़म मिटाने को,आँखों से नमी हटाने को
जहाँ तेरा आंसू गिरा, उस राह को चमन बनाने को
तेरी यादों के सिरहाने ही , अपना जनाज़ा उठाने को,
उधार के ग़म लेकर, अपनी राह चले जाने को,
खुशमिजाज़ रहता हुआ,
मैं  मसखरा  हुआ....

यारों की महफ़िल मैं,सबके राज़ छुपाने को,
चाक जिगर सीने को,उधार की ज़िन्दगी जीने को,
उनकी राहत में अपनी राह भूल जाने को ,
उनके ग़म मैं अपनी ख़ुशी जलाने को,
स्याह सर्द रातों में,गर्म लावे की तरह बहता हुआ...
मैं  मसखरा  हुआ....

किसी ने न सिला दिया मेरे प्यार का,
दिल को न सुकून मिला,दाग़ दार का,
सर्द रातों को न मिली कोई खुशनुमा सुबह,
रात मैं गुज़र गया ,लम्बे इंतज़ार सा,
दिखा नहीं सीने में मेरे सुराख दर्द का,
मंज़र नज़र आता रहा, उस पार का,
खुदा भी नागवार हुआ,खुदाई भी गिरी,
मज़ाक सी ज़िन्दगी बख्शी, 
वो ज़ालिम ,खुदा हुआ!!?,
अपने ग़म को पीता रहा,
सबको हँसाकर  जीता रहा
मैं मसखरा हुआ?!!....

Thursday, April 26, 2012

अंतिम खोज....

मृगतृष्णा सा आभास भी नहीं,
सफलता या संघर्ष ,क्या है जीवन?
भूत, भविष्य या वर्तमान,
कपोल कल्पनाएँ या यादों में जियें,
वादों में या इरादों में...
कहाँ जाएँ ,व्याकुलता है पर प्यास नहीं...
तर्क-कुतर्क सब कुछ पल का सब्र बंधाते हैं,
फिर से वही आकुलता, ह्रदय डूबने का एहसास,
वही बेचैनी,वही बेज़ार सा दिल हो जाता है,
फिर किसी बीते,असम्भव इरादे से प्यार हो जाता है,
तलाश किसकी,ज़िन्दगी या एहसास की,
प्रेम की या वासना की,पूर्णता की या अपूर्णता की,
चक्रव्यूह है विचारों का,
क्या येही वो ध्येय है, क्या ये वो रास्ता है,
सफ़र ही जीवन है, या मंजिल पा जाना ,है अंतिम खोज....

Saturday, January 28, 2012

बेरुख़ी मुबारक..



जिसको था इंतज़ार तेरा उसको ही खबर नहीं,
बेपरवाह तू है मगर इतनी बेखबर नहीं,
महरूम हो मेरी चाहत से या हो इतनी मसरूफ,
की मेरा पता नहीं न सही,खुद की भी खबर नहीं!!

तेरी चाहत मैं अब वो कशिश नहीं,
डूब जाने जैसी अब वो नज़र नहीं,
बेफिक्र हो जाओ मेरी पुकार से ,
तेरी गलियों से अब मेरी रहगुज़र नहीं..

अब फ़ना है तेरे ख़याल 
मेरे दिल-ओ-दिमाग़ से,
आती है बड़ी हसी मुझे अपने आप पे,
चाहत की फिकर नहीं, आँहो का असर नहीं,
जाओ, खुश रहो वहीँ जहाँ तुम्हारी कदर नहीं...

Thursday, January 19, 2012

सांसे...

कभी कभी ज़िन्दगी में कमी महसूस होती है,
पत्थर सी आँखों में भी नमी महसूस होती है,
मुहब्बत की मजलिस में बड़ी भीड़ है लेकिन,
किसी एक बुत के लिए साँसे थमी महसूस होती है...

संगमरमरी साया और बर्फ की आँखें,
तेरे आगोश में सांसें भी जमी महसूस होती हैं...
मौत की तरह, थाम ले हाथ मेरा,
ज़िन्दगी में तो सिर्फ नाकामी महसूस होती है...


तेरी कमी महसूस हुई...

खुशमिजाज़ तो तबियत रहती है मेरी,
मुस्कुराने की बात आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

शामें रोशन कर दी शफ्फाक यादों ने,
आँखों मैं ढलती रात आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

धुआं धुआं सा रहता है सुबहो का मंज़र,
धुप से खिले चेहरे की याद आई तो तेरी कमी महसूस हुई...

अज़ाने ,नमाज़ें ,मुरादें अभी  कितनी बाकी हैं,
हर सजदे मैं तेरी याद आई तो तेरी कमी महसूस हुई....

यूँ तो बातें करने को तमाम दुनिया है,
हर बात से पहले तेरी बात आई तो तेरी कमी महसूस हुई....