Saturday, May 14, 2011

बेपरवाह...

हुए बेपरवाह ज़िन्दगी से,तेरी यादों में जले
इक तेरी तस्वीर के आगे ही बेबस हो गए
मिलने का मकसद पूछते हो
ये बहाना खूब है....
तेरे तस्सवुर में रात भर जागा किये
भूल से भी सोचा न तुने
ये बहाना खूब है...
चाँद लम्हों की ख़ामोशी,वीरां इस दिल को कर गयी
आह भी खामोश सी है
ये तराना खूब है...
तेरी खुशियों की खातिर कोशिशें करते रहे
तेरा गम से ग़मगीन हुए, तेरे दर पे मर गए
इस का भी सबब पूछते हो
ये बहाना खूब है...

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