कभी कभी ज़िन्दगी में कमी महसूस होती है,
पत्थर सी आँखों में भी नमी महसूस होती है,
मुहब्बत की मजलिस में बड़ी भीड़ है लेकिन,
किसी एक बुत के लिए साँसे थमी महसूस होती है...
संगमरमरी साया और बर्फ की आँखें,
तेरे आगोश में सांसें भी जमी महसूस होती हैं...
मौत की तरह, थाम ले हाथ मेरा,
ज़िन्दगी में तो सिर्फ नाकामी महसूस होती है...
पत्थर सी आँखों में भी नमी महसूस होती है,
मुहब्बत की मजलिस में बड़ी भीड़ है लेकिन,
किसी एक बुत के लिए साँसे थमी महसूस होती है...
संगमरमरी साया और बर्फ की आँखें,
तेरे आगोश में सांसें भी जमी महसूस होती हैं...
मौत की तरह, थाम ले हाथ मेरा,
ज़िन्दगी में तो सिर्फ नाकामी महसूस होती है...
Very well written..
ReplyDeleteNice post, things explained in details. Thank You.
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